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Showing posts from August, 2013

दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे

                             दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे !                                    पास पहुचे तो सारे खेत ब॑जर थे !!                                    हम उनके पास से भी प्यासे लॊटे !                                    जिनकी आ॑खो मे, प्यार के समन्दर थे !!                                    मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा !                                    कितने ही शैतान उनके अन्दर थे !!                ...

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको। मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको। ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको। बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’ शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको। – बादाह  = Wine, Spirits

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

  मुश्किल  है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये तुम ऍम ऐ फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये तुम फौजी अफसर की बेटी , मैं तो किसान का बेटा हूँ तुम रबडी खीर मलाई हो, मै तो सत्तू सपरेटा हूँ तुम ऐ-सी घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ तुम नई मारुती लगती हो, मै स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ इस कदर अगर हम छुप छुप कर, आपस में प्यार बढ़ाएँगे तो एक रोज तेरे डेडी, अमरीश पुरी बन जाएँगे सब हड्डी पसली तोड़ मुझे वो भिजव देंगे जेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये तुम दीवाली का बोनस हो, मै भूखों की हड़ताल प्रिये तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्युमिनिअम का थाल प्रिये तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड वाली दाल प्रिये तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मै हू कछुए की चाल प्रिये तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हू बबूल की छाल प्रिये मै पके आम सा लटका हूँ मत मारो मुझे गुलेल प्रिये...